मैंने पुछा खुदा से - है खुदा दिल एक और किडनी दो क्यों दी
दिल जो बार बार टुटता है वो एक और किडनी दो क्यूँ दी ।
खुदा ने बोला : दिल टूटने की कोई सीमा नहीं होती ।
और टूटने के बाद "पीने" की कोई सीमा नहीं होती।
तुम पीतो रहो ग़म भूलाते रहो!
एक ख़राब भी हो गयी तो दूसरी से काम चलाते रहो!
दिल जो बार बार टुटता है वो एक और किडनी दो क्यूँ दी ।
खुदा ने बोला : दिल टूटने की कोई सीमा नहीं होती ।
और टूटने के बाद "पीने" की कोई सीमा नहीं होती।
तुम पीतो रहो ग़म भूलाते रहो!
एक ख़राब भी हो गयी तो दूसरी से काम चलाते रहो!
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